शस्य कार्यिकी के उद्देश्य (Aims of Crop Physiology)
शस्य कृषित कार्यिकी का अध्ययन करने का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि हम यह भली भाँति समझ सकें कि पौधे के जीवन काल में कौन-कौन सी जैविक क्रियाएँ पौधे में होती हैं? किस प्रकार से होती है? इनमें से प्रत्येक का पौधे के जीवन में क्या महत्त्व है? पौधे के अन्दर और बाहर के कौन-कौन से कारक इन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं? प्रत्येक कारक का प्रत्येक क्रिया पर कितना प्रभाव होता है तथा प्रत्येक क्रिया का पौधे की वृद्धि और विकास पर कितना और किस प्रकार से प्रभाव होता है? पौधे बाह्य वायुमण्डल से क्या ग्रहण करते हैं? वे जो ग्रहण करते हैं किसलिये करते हैं? ग्रहण किये गये पदार्थों का क्या होता है? कुछ पौधे शरद और कुछ ग्रीष्म ऋतु में पुष्पन करते हैं क्यों? इन प्रश्नों के उत्तर जान लेने के बाद ही एक पादप कार्यिकीवेत्ता (Plant Physiologist) पौधों के विकास को नियन्त्रित करके उन्हें मनुष्यों के लिये अधिक आर्थिक महत्त्व के बना सकता है।